साभार-
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आयल नव वर्ष मुदा नवका उत्साह कतय
पुरने केर पुनरावृत्ति नवता प्रवाह कतय
रोजी आ रोटी केर जेहिठाँ समस्या अछि
दोसर किछु आरो की, होयत पुनि चाह ओतय
कुर्सी हथियेबा ल ब्याकुल अछि लोक जखन
आनक हित अनका पुनि होयत परवाह कतय
ककरो नहि चैन, लोक सगरो बेचैन बनल
होयत पुनि तरुण कहू सुख सँ निर्वाह कतय
जागल अछि हिंसा मे लोकक विश्वास जखन
पायब अहिंसा केर खेवा लय नाह कतय ।
[मलाढ़ :17.12.1984]
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