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Tuesday, October 7, 2014

महालक्ष्मी वन्दना

हे मातु महालक्ष्मी देवी मम नमस्कार स्वीकार करू
हम अहिंक अबोध अकिंचन सुत हे माए हमर उद्धार करू ।

हे सिन्धुसुता हे विष्णुप्रिया हे जगत विदित धनदा देवी
हे माँ वरदे वरदान दिअ बनि रही अहँक हम पद सेवी
हे बुद्धिप्रदे सदबुद्धि दिअ सब अज्ञानक अन्हार हरू
हे मातु महालक्ष्मी देवी मम नमस्कार स्वीकार करू ।

की कही अधिक हम कहू माए ! की ऐहन अहाँ जे नहि जानी
के छोड़ि अहाँ के पोछि सकत माँ नोर हमर जहिठाँ कानि
हे जननी ! शरण में लगा लिअ अछि अर्जी हमर विचार करू
हे मातु महालक्ष्मी देवी मम नमस्कार स्वीकार करू ।

हे आदि-अन्त रहिते देवी ! हे आदिशक्ति ! हे महेश्वरी
हे कमलासने ! श्वेतवसने ! हे श्रीपीठे ! हे सुरेश्वरी !
हे जननी ! दया केर दृष्टि हेरी सुत ‘तरुण’ क बेड़ा पार करू
हे मातु महालक्ष्मी देवी ! मम नमस्कार स्वीकार करू ।

मलाढ़ : 03.05.1988

Friday, October 3, 2014

अरपल जननी अहीं पर हे (भगवती वंदना-9)

अरपल जननी अहीं पर हे ! जिनगीक सब भार
एलहुँ हारि शरण मे हे माँ अहँक दुआर ।

अपन बूझि जकरे अपनेलहुँ, सब किछु तकरे हाथ गमेलहुँ
नोरे नयन भरल अछि हे, नित बहय टघार
अरपल जननी अहीं पर हे ! जिनगीक सब भार ।

अहँ थिकहुँ जननी जगतारिणी, हे अम्बे भव केर भय हारिणी
हरू जननी मम भव भय हे, कय भव सँ पार
अरपल जननी अहीं पर हे ! जिनगीक सब भार ।

जिनगी तरूण भरल घट पापक, दुख अछि असह सहब त्रितापक
मेटी पाप ताप सब हे, माँ विनय हमार
अरपल जननी अहीं पर हे जिनगीक सब भार ।



मलाढ़ : 26.06.1984

Thursday, October 2, 2014

माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण (भगवती वंदना-8)

माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

अपने दुष्टक संहार केलहुँ, नर-सुर-संतक उद्धार केलहुँ
पुनि हमरो माँ उद्धार करू, सर्वश्व अहीं केँ अछि अर्पण
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

माँ हिमकन्या कल्याणी अहाँ, जगती केर लेल भवानी अहाँ
नित अहाँ जगत कल्याण केलहुँ, वंदित युग-युग सँ अहँक चरण
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

छी जननी अहाँ गजानन केर, संगहि माँ वीर षडानन केर
के जनय अहाँ के नहि जननी, स्वीकारी माय हमर वंदन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

माँ अहाँ दया केर सागर छी, सब गुण केर अपने आगर छी
अपनेक दरस हित व्याकुल मन, माँ दिअ तरूण सुत केँ दर्शन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

अछि सिंह सवारी अहँक सबल, रक्षित अछि अपने सँ निर्बल
हमरा विकार अरि मिलि घेरल, माँ करि ताहि अरि केर मर्दन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

मलाढ़ : 26.09.2014

Wednesday, October 1, 2014

हृदय निःशेष अछि मैया (भगवती वंदना-7)

कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया
हमर नहि अछि अपन तन मन, बचल किछु शेष हे मैया ।

सदति दुख काटि हम जननी अपन जिनगी बितौने छी
लगै अछि एना व्यर्थे हम अपन उर्जा गमौने छी
कृपा अपनेक पेबा लेल लगल छी रेस मे मैया
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।

मनक जे बात ककरो अछि कहू की नहि अहाँ जानी
तखन फुसियै कतहु जा क कियै बाजी कियै कानी
शरण बस छोड़ि अपने केर, नहि चाहि शेष किछु हमरा
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।

हृदय अछि माँ तरूणसुत केर कतेको व्यथा सँ भारी
विवश बनि आइ बैसल छी कहू ई सब कोना टारी
बिसरितहुँ नहि बिसरि पाबी जे लागल ठेस अछि मैया
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।



मलाढ़ : 27.09.2014