मिथिला चित्रकला : दुलारी देवी
पहिल वंदना करी आहाँक हम हे प्रभु ! ऋद्धि-सिद्धि दाता
पिता अहँक त्रिपुरारी शंकर स्वयं उमा आद्या
माता ।
वक्रतुंड छी अहाँ अहीं लम्बोदर बुद्धि विनायक
छी
विघ्नहरण विघ्नेश अहाँ एहि जग मे शुभफल दायक
छी
असुर विनाशक कार्तिकेय छथि जगत विदित अहाँ केर
भ्राता
पहिल वंदना करी आहाँक हम हे प्रभु ! ऋद्धि-सिद्धि दाता.. ।
कृपा दृष्टि हो जतय अहाँ केर फुलाय जाइछ
समृद्धि कमल
भ जाइछ अज्ञान दूर सब पसरय ज्ञानज्योति निर्मल
प्रथम पूज्य हे देव अहाँ छी एहि जगति जन केर त्राता
पहिल वंदना करी आहाँक हम हे प्रभु ! ऋद्धि-सिद्धि दाता.. ।
नर केर तँ कि बात अहाँ केँ पूजथि सकल देवता गण
विनीत ‘तरूण’ हम चाही एतबय भेटय हमरा अहाँक शरण
हरू हमर दारूण दुःख भव केर अपने हे भव
दुःखहर्ता
पहिल वंदना करी अहाँक हम हे प्रभु ! ऋद्धि-सिद्धि दाता.. ।
मलाढ़ :
29.04.1988