अजीता बेटी बड़ बुधियारि, अजीता बेटी बड़ बुधियारि
मधुर
मधुर जे बात बजय अछि,दिये ने ककरो गारि
अजीता
बेटी बड़ बुधियारि ।
कौखन
पढ़य किताब, खेलावय कौखन अटकन-मटकन
माए
बाप केर टहल टिकोरा मे जे रहय सदतिखन
क्षण
मे महल बनावय माटिक, क्षण मे दिये उजारि
अजीता
बेटी बड़ बुधियारि ।
करय
निहोरा रानी बहिनक, सुनवय कथा पिहानी
बात-बात
मे टोक लगावय, चाहय सब किछु जानी
सौ
मे सुन्नरि जे गुलाब सन लागय अछि सुकुमारि
अजीता
बेटी बड़ बुधियारि ।
कौखन
रुसि रहय पुनि कौखन, गीत मगन भ गावय
बात
बात मे तरुण पिता केर सदिखन हृदय जुड़ावय
फूल
बहीन, बबुआ भैया संग माइक परम दुलारि
अजीता
बेटी बड़ बुधियारि ।
[मलाढ़ : 05.01.1986 / हाल-चाल
(पटना) क दिसम्बर 1986 अंक मे प्रकाशित ।]
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