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Saturday, August 30, 2014

हरि लेलक सर्वश्व सब केर कौशिकीक जलधार

हरि लेलक सर्वश्व सब केर कौशिकीक जलधार
जतहि देखी ततहि लागल बालु केर अम्बार ।

दुखें कातर कानि रहलै जाहिठाँ सब लोक
सोचि ई जे कोना चलतै जीवनक व्यापार ।

उगि आयल कास संगहि यत्र तत्र पटेर
काल्हि तक छल जतय लागल फसलि केर अम्बार ।

बसल अछि जे लोक एखनहु कौसकीक कछेर
मात्र जननी जन्मभूमिक प्रेमवश लाचार ।

कोस भरि केर बाट लागय जेना जोजन दूर
होइछ रहि रहि पथिक के मन जतय भय संचार ।

अछि तरूण जहिठाँ कतेको समस्या केर जाल
कोना हँटतै अछि जखन आन्हर बहिर सरकार ।


31-10-1994 : बनैनियाँ
मिथिला लोक संवाद केँ प्रेषित/ संभवतः प्रकाशित

दोख अपन झाँपि करय अनका उघार लोक

दोख अपन झाँपि करय अनका उघार लोक
बूझि रहल अपना केँ सब सँ बुधियार लोक ।

विद्या विवेकक नहि सम्प्रति अछि मानि कोनो
मानि रहल धन केँ अपन जिनगीक आधार लोक ।

प्रेमक नहि दरस कतहु देखबा मे आबि रहल
लागल अछि करबा मे स्वार्थक व्यापार लोक ।

जानि नहि तरूण कतय दुनिया ई भागि रहल
तकनहु नहि भेटैत अछि जग मे उदार लोक ।



21-01-1995 / मलाढ़.
[परिवेश (मासिक) सिंदरी के प्रेषित / संभवतः प्रकाशित]

एक गोट क्षणिका

द्रोपदीक चीर जेना नेता केर भाषण
रोगी केर पथ्य जेना कोटा केर राशन।
खाली अछि अनके लेल आजुक अनुशासन
विवश आइ जनता आ मूक बनल शासन ।


08.09.1994 / मलाढ़ 

तीन गोट क्षणिका

1.
पलंग धेनय बेटा आ टहलुक अछि बाप
सासु बनलि बहिकिरनी पुतहुक प्रताप
सब केर सब चिन्ता मे अपनहि बेहाल
देखै छी जतहि, ततहि एतबहि अछि हाल ।

2.
सरकारी डाक्टर शिक्षक आ वकील
चुस्त निजी प्राइक्टिस मे बाँकी छथि ढील
व्यर्थ करब हिनका पर कनियो भरोस
लोभय जनु लागय हिनक लुप्त भेल होश ।

3.
भ्रष्ट बनल अफसर वा भ्रष्ट बनल क्लर्क
बहुते अछि कठिन करब हिनका मे फर्क
लटका केँ राखब नित ऑफिस केर काज
धर्म हिनक नीति हिनक हिलकै छन्हि राज ।


मलाढ़ 14.10.1994 शुक्र, (विजया दशमी)

विद्यापति स्मृति गोष्ठी केर किछु फोटो

देसिल बयना, हैदराबाद द्वारा 02.12.2012 केँ विद्यापति स्मृति गोष्ठीक आयोजन कयल गेल छल । ई आयोजन प्रत्येक वर्ष कयल जाइत अछि । अहि आयोजनक किछु फोटो एतय प्रस्तुत अछि । देसिल बयना हैदराबादक किछु निष्ठावन प्रवासी लोकनिक सक्रिय सांस्कृतिक संगठन थिक ।
 दीप प्रज्ज्वलित करैत 

देसिल बयना पत्रिकाक लोकार्पन

 वक्तव्य दैत काल