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Thursday, May 14, 2015

आगि ओ मिझैत की

रेखांकन : कुमार सौरभ
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आगि ओ मिझैत की जे घर-घर मे धधकल अछि
बाँचत की जान ओ जे फँसरी पर लटकल अछि ।

अपनहि सँ कुड़हरि ल’ टांग अपन काटि रहल
ककरा बुझाओत के बुद्धि सबहक सटकल अछि ।

एकहु बताहक इलाज भेनय मोश्किल सन
की होयत दुनिया केर सब केर सब सनकल अछि ।

गौतम आ गाँधीक आदर्शक जाप करैत
छगुंता एहि देशहु मे हिंसेटा भरकल अछि ।

आयुध केर ढेर पर  दुनिया ई बमकि रहल

होइछ नित युद्ध लोक युद्धे मे परिकल अछि ।



[मलाढ़ : 26.07.1984 /  देसिल बयना, हैदराबाद द्वारा 10 मई 2015 केँ आयोजित मिथिला विभूति पर्वकअवसर पर बहरायल स्मारिका मे प्रकाशित ।]

Wednesday, May 13, 2015

चालि सतरंज केर आइ सत्ता चलल

रेखांकन कुमार सौरभ
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चालि सतरंज केर आइ सत्ता चलल
जे परस्पर रहय मित्र शत्रु बनल ।

पानि मे माछ केर थाह अछि नहि कतहु       
मुदा बखरा मे नौ-नौ कुटिया पड़ल ।

मूर्ख जन बुद्धि केर आइ ठेका लेने
मूर्ख सबके बनौने बढ़ल जा रहल ।

देश केर दुर्दशा पर नहि ककरो नजरि
हित कोना साधि ली ताहि मे सब बझल ।

अछि आबहु समय जागू चेतू तरुण
चीन्हि भगबू जे देशक अछि दुश्मन अड़ल ।


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[मलाढ़ : 05.09.1990 / देसिल बयना, हैदराबाद द्वारा 10 मई 2015 केँ आयोजित मिथिला विभूति पर्वक अवसर पर बहरायल स्मारिका मे प्रकाशित ।]