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Thursday, October 2, 2014

माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण (भगवती वंदना-8)

माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

अपने दुष्टक संहार केलहुँ, नर-सुर-संतक उद्धार केलहुँ
पुनि हमरो माँ उद्धार करू, सर्वश्व अहीं केँ अछि अर्पण
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

माँ हिमकन्या कल्याणी अहाँ, जगती केर लेल भवानी अहाँ
नित अहाँ जगत कल्याण केलहुँ, वंदित युग-युग सँ अहँक चरण
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

छी जननी अहाँ गजानन केर, संगहि माँ वीर षडानन केर
के जनय अहाँ के नहि जननी, स्वीकारी माय हमर वंदन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

माँ अहाँ दया केर सागर छी, सब गुण केर अपने आगर छी
अपनेक दरस हित व्याकुल मन, माँ दिअ तरूण सुत केँ दर्शन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

अछि सिंह सवारी अहँक सबल, रक्षित अछि अपने सँ निर्बल
हमरा विकार अरि मिलि घेरल, माँ करि ताहि अरि केर मर्दन
माँ दुर्गे दुर्गति करू हरण ,हम छी अनाथ माँ लिअ शरण ।

मलाढ़ : 26.09.2014

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