कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया
हमर नहि अछि अपन तन मन, बचल किछु शेष हे मैया
।
सदति दुख काटि हम जननी अपन जिनगी बितौने छी
लगै अछि एना व्यर्थे हम अपन उर्जा गमौने छी
कृपा अपनेक पेबा लेल लगल छी रेस मे मैया
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।
मनक जे बात ककरो अछि कहू की नहि अहाँ जानी
तखन फुसियै कतहु जा क कियै बाजी कियै कानी
शरण बस छोड़ि अपने केर, नहि चाहि शेष किछु
हमरा
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।
हृदय अछि माँ तरूणसुत केर कतेको व्यथा सँ भारी
विवश बनि आइ बैसल छी कहू ई सब कोना टारी
बिसरितहुँ नहि बिसरि पाबी जे लागल ठेस अछि
मैया
कहब की आर हम बेसी, हृदय निःशेष अछि मैया ।
मलाढ़ : 27.09.2014
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