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Monday, September 29, 2014

अहाँक महिमा अपार हे भवानी (भगवती वंदना-5)

सिंह पर सवार कयल असुरक संहार अहँक महिमा अपार हे भवानी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।

देव मानव जतेक सब रहै छथि जथि जपैतँ अहँक महिमा अनेक ब्रह्माणी
के नहि जनैत अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।

करी गिरि पर निवास हरी सब केर भव त्रास अहीं जगती केर आस हे शिवानी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।

हे विश्वक जननी ! अहाँ दुर्गतहरणी !  लिअ अपना शरण सर्वाणी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।

नाह तरूणक मझधार खींचि लगबू किनार करू आबहु विचार कल्याणी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।

 मलाढ़ : 05.06.1988



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