भ’ सिंह पर सवार कयल असुरक संहार अहँक महिमा अपार हे भवानी
के ने जग मे जनै अछि कहू
माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।
देव मानव जतेक सब रहै
छथि जथि जपैतँ अहँक महिमा अनेक ब्रह्माणी
के नहि जनैत अछि कहू
माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।
करी गिरि पर निवास
हरी सब केर भव त्रास अहीं जगती केर आस हे शिवानी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।
हे विश्वक जननी ! अहाँ दुर्गतहरणी ! लिअ अपना शरण सर्वाणी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।
नाह तरूणक मझधार
खींचि लगबू किनार करू आबहु विचार कल्याणी
के ने जग मे जनै अछि कहू माँ शास्त्र वर्णित अहाँ केर कहानी ।
मलाढ़
:
05.06.1988
No comments:
Post a Comment