माँ उग्रताराक मूर्ति, महिषी,सहरसा साभार- टॉपिक्स डॉट कॉम |
हे माए उग्रतारा ! सब अछि अहीं केँ भारा
अछि भंवर बीच नैया,
मैया करू किनारा ।
गेलहुँ जतय कतहु हम
सगरो सँ हारि एलहुँ
जिनगी अपन ई मैया
व्यर्थे जेना गमेलहुँ ।
हम छटपटा रहल छी माँ
दी अपन सहारा
हे माए उग्रतारा! सब अछि अहीं केँ भारा ।
माँ कृपादृष्टि राखी
अछि प्रार्थना हमर ई
कय दी सुलभ हमर माँ
जिनगीक कठिन डगर ई ।
हम डगमगा रहल छी, माँ
दी अपन सहारा
हे माए उग्रतारा! सब अछि अहीं केँ भारा ।
आनक भरोस मन मे बाँचल
ने शेष हमरा
पुनि छोड़ि माँ अहाँ
केँ कहबै कहू त ककरा ।
दुख मे ‘तरूण’ ने ककरो क्यो बंधु पुत्र दारा
हे माए उग्रतारा! सब अछि अहीं केँ भारा ।
अछि भंवर बीच नैया,
मैया करू किनारा ।।
बेलदारा :
05.05.1995
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