आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण
करी
सबहक संग परस्पर मिलि जुलि स्नेहक हम प्रतिदान करी ।
जाति धर्म भाषा विवाद केँ फरिछा केँ उकनाबी हम /
निज भारत देशक अखंडता केँ मिलि आउ बचावी हम
देलनि जे सब केँ स्वतंत्रता हुनकर हम सम्मान
करी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी ।
मानी बात ओकर नहि कहियो झगड़ा सदति लगावय जे/ आनक हर्जा देखि देखि केँ मनहि हँसय मुस्कावय जे
बूझि केँ ओकरा नेहक शत्रु चौकन्ना ई कान धरी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !
हिंसा घृणा द्वेष सँ सगिरो मात्रहि होइछ विनाश ‘तरुण’ / न्याय आर शांतिक बिनु
कहियौ कतय उगैछ समृद्धिक अरुण?
सत्य,अहिंसा, प्रेम, शांति लेल जिनगी अपन प्रदान
करी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !
जे अछि दुखित दीन अवहेलित सब केँ हृदय लगावी हम/ सत्यक आग्रह करी सुनिश्चित किनको हक भेटय नहि कम
हम कर्तव्यक पाठ नहि बिसरी स्वार्थक हम बलिदान
करी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !
[06.07.1986/मलाढ़ ]
रेखा चित्र साभार : mkgandhi.org
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