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Friday, October 2, 2015

बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी

आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी 
सबहक संग परस्पर मिलि जुलि स्नेहक हम प्रतिदान करी ।
जाति धर्म भाषा विवाद केँ फरिछा केँ उकनाबी हम / निज भारत देशक अखंडता केँ मिलि आउ बचावी हम
देलनि जे सब केँ स्वतंत्रता हुनकर हम सम्मान करी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी ।

मानी बात ओकर नहि कहियो झगड़ा सदति लगावय जे/ आनक हर्जा देखि देखि केँ मनहि हँसय मुस्कावय जे
बूझि केँ ओकरा नेहक शत्रु चौकन्ना ई कान धरी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !

हिंसा घृणा द्वेष सँ सगिरो मात्रहि होइछ विनाश तरुण / न्याय आर शांतिक बिनु कहियौ कतय उगैछ समृद्धिक अरुण?
सत्य,अहिंसा, प्रेम, शांति लेल जिनगी अपन प्रदान करी
आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !

जे अछि दुखित दीन अवहेलित सब केँ हृदय लगावी हम/ सत्यक आग्रह करी सुनिश्चित  किनको हक भेटय नहि कम
हम कर्तव्यक पाठ नहि बिसरी स्वार्थक हम बलिदान करी
 आउ आबहु बापू केर स्वप्नक भारत केर निर्माण करी !




[06.07.1986/मलाढ़ ]
रेखा चित्र साभार : mkgandhi.org

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