‘भारती-मंडन’ पत्रिकाक प्रकाशनक
प्रस्तावनाक मूल मे पत्रिकाक स्वरूपक कल्पनाक संगहि एहि पत्रिकाक नियमित प्रकाशनक
लेल आर्थिक जुटानक योजना केँ सार्वजनिक केनय रहल छल । एहि प्रस्तावनाक संगहि
भारती-मंडनक प्रकाशनक जतन व्यावहारिक रूपें शुरू भेल छल । पत्रिकाक संस्थापक-सह-प्रबंधक तारानंद झा ‘तरुण’ एकर उपरांते निरंतर लोकक सहयोग लेल झोड़ा टांगि, साइकल हँकैत कोसक कोस जा
क’ व्यक्तिगत भेट करवाक संगहि औसतन सैकड़ा-अधसैकड़ाक हिसावें प्रायः नित्य पत्र लिखव शुरू केलन्हि ।
मैथिली पत्रिका लेल सहयोगक जुटान कतेक कठिन काज
होइछ, एहि
बातक अनुमान वैह लगा सकैत छथि, जिनका एहि मादे किछुओ टा अनुभव होइन्ह । पत्रिकाक प्रबंधक लग पूँजीक नाम
पर किछुओ ने छलन्हि । पत्रिकाकक प्रकाशन अवधि (1995-2006) वा तकर बहुत बादो धरि पारिवारिक कारणें कर्ज मे डूबल रहलाह । मुदा
पत्रिकाक एक अंकक प्रकाशन आ वितरणक औसतन पच्चीस हजार लगभग खर्चक जोगाड़ ओ लोकक
सहयोग सँ करैत रहलाह । पत्रिकाक सुचारू प्रकाशन लेल कएक तरहक सदस्यता योजना हुनके संकल्पना थिक । प्रकाशनक एहि जतन मे घनघोर अनुरोध, दुत्कार, अपमान, मान, अनादर, आदर आ सहयोग-असहयोगक कतेको घटना निहित अछि । ई
क्रम पत्रिकाक 12 अंक धरि चलैत रहल, जकर बाद पत्रिकाक प्रकाशन संभव नहि भ’ सकल ।
एहु बातक उल्लेख आवश्यक अछि जे पत्रिकाक संपादक केदार काननक लेल सेहो ई अवधि घोर आर्थिक संघर्षक छल । एना
रहितो रचनाक संशोधन संयोजन सँ ल’ क’ लेटर प्रेसक छपल कॉपी केर प्रूफ देखवा धरि हुनक मेहनति आ समर्पण अद्बुत छल
। एहि तरहें अपन-अपन आर्थिक अभावक बावज़ूद पत्रिकाक दू प्रमुख खाम्ह पत्रिका क
ठाढ़ क’ ऊँच राखवा मे निष्ठा सँ लागल रहलाह ।
एहि
प्रस्तावनाक ‘भारती-मंडन’ पत्रिकाक
प्रकाशनक इतिहास मे पर्याप्त महत्व छैक । समय समय पर एहि ब्लॉग पर पत्रिकाक
प्रबंधकीय दस्तावेज सब केँ भूमिका सहित उपलब्ध करेवाक प्रयास रहत । जाहि सँ ‘भारती-मंडन’ सन महत्वक पत्रिकाक लेल प्रबंधकीय
संघर्षक सेहो परिचय भेटि सकय, जे पत्रिका मात्र देखि क’ बूझव कठिन अछि ।
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