समय विपरीत भागै ए
दिन लगै अछि जेना सूतल राति जागै ए
समय विपरीत भागै ए ।
श्रम करय जे रहय तकरे जेब खाली
आलसी सूदखोर केर मुख रहय लाली
खटि मरय क्यो बैसि क्यो बस मौज मारै ए
समय विपरीत भागै ए ।
स्वार्थ केर हाथें बिकायल आइ सत्ता
सत्य सँ बढ़ि केँ जतय फूसिक महत्ता
क्यो अपन नहि सब जेना विरान लागै ए
समय विपरीत भागै ए ।
सुकन्या छथि जे तिनकर एहिबात ढाठल
लगय अछि जिनगी जेना हो गाछ काटल
पाइ केर डंका चतुर्दिक आइ बाजै ए
समय विपरीत भागै ए ।
अहिंसा केर देश मे हिंसा समायल
प्रेम केर गहना तरूण लागय हरायल
पूब डूबल सुरूज पच्छिम ऊगि आबै ए
समय विपरीत भागै ए ।
सुपौल : 08.05.1987
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